Hit and Run के नए कानून के खिलाफ आंदोलन तेज होते जा रहे हैं। राजस्थान में कई ट्रक ड्राइवरों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है। उनका दावा है कि हादसे के बाद भागने पर उन्हें नए कानून के तहत सख्त सजा मिलेगी, और अगर वे रुकते हैं तो भीड़ उन पर हमला कर सकती है।
क्या है ‘हिट एंड रन’ का नया कानून ?
Hit and Run का अर्थ है। दुर्घटना के बाद चालक का गाड़ी मौके से भागना यदि ड्राइवर किसी गाड़ी से किसी घायल व्यक्ति की मदद करने के बजाय गाड़ी को लेकर भाग जाता है, तो ऐसा case “Hit and Run” में गिना जाता है। हिट एंड रन के पुराने कानून के अनुसार, ऐसे मामलों में ड्राइवर को जमानत भी मिलती थी और अधिकतम दो साल की सजा मिलती थी। दुर्घटना में घायल व्यक्ति को समय पर अस्पताल पहुंचाने पर अक्सर उनकी जान बच जाती है। हालाँकि, दुर्घटना के बाद स्थान से भागने की घटना को Hit and Run कहा जाता है। ऐसे ही मामले में कठोरता लागू की गई है।
नए कानून में ड्राइवरों पर सख्त कार्रवाई पर विरोध
भारतीय न्याय संहिता में हिट एंड रन कानून में जे कानून बनाया कि गाड़ी चालक को 10 साल की सजा देंगे अगर वह हादसे के बाद पुलिस को सूचना दिए बिना भाग जाता है। इसके साथ भारी जुर्माना भी होगा। देश भर में ट्रक, ट्रेलर, बस, लोकपरिवहन और टैक्सी चालकों ने इस कठोर प्रावधान का विरोध किया है। इस नए कानून के खिलाफ उत्तर भारत के कई राज्यों में प्रदर्शन हो रहे हैं और हाइवे जाम किए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार ने इतने कड़े प्रावधान क्यों लागू किए?
दुर्घटना आंकड़े बताते हैं कि देश में हर साल 50 हजार हिट एंड रन की मौत होती है। मृत्यु दरों को देखते हुए, नए कानून में ड्राइवरों पर कठोर प्रावधान जोड़े गए हैं।आगे चलकर accident case कम हो इसलिए ये कानून लागू किया गया।
यह कानून किसानों पर पड़ा भारी
नए कानून का विरोध करने वाले चालकों को दस साल की सजा होगी अगर दुर्घटना के बाद मौके से भाग जाते हैं। अगर वे मौके पर रुक जाते हैं तो भीड़ उन पर हमला करके पीट-पीट कर मार डालेगी। ड्राइवरों को आगे कुआं और पीछे खाई की जगह मिली। यह भी सही है कि उग्र भीड़ कई बार हिंसक हो जाती है और मामले मॉब लिंचिंग में बदल जाते हैं।
क्या सड़क दुर्घटना पीड़ित को अस्पताल ना लजाया गया तो पीडित कार्रवाई कर सकते है ?
इस का मतलव की आप पर कोई कार्रवाई नहीं होगी अगर आप सड़क दुर्घटना के शिकार की मदद करते हैं और उसे अस्पताल ले जाते हैं। आपका बयान पुलिस को मिलेगा और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
क्या सड़क पर घायल व्यक्ति की मदद करने वालों पर भी केस चलेगा?
सोशल मीडिया पर अफवाह चल रही है कि घायलों की मदद करने के लिए नहीं आने वाले लोगों पर भी केस चलेगा। पर ऐसा नहीं है। नए हिट एंड रन कानून में ऐसा कुछ नहीं है। लेकिन घायलों और पीड़ितों को सहानुभूति देना लोगों का कर्तव्य है।
मॉब लिंचिंग का शिकार होने पर डरे लोग ?
अब अगर मॉब लिंचिंग को आसान भाषा में समझें तो ये तब होता है जब कुछ लोग अपने हाथों में कानून लेने का फैसला लेते हैं। यानी अगर किसी शख्स पर कोई भी आरोप है तो कुछ लोगों की भीड़ उसे बीच सड़क मौत के घाट उतार देती है। ड्राइवरों ने कहा कि वे मॉब लिंचिंग का शिकार हो सकते हैं अगर वे मौके से नहीं भागते। गृह मंत्रालय ने स्वयं इसका उत्तर दिया है। गृह मंत्रालय ने कहा कि अगर किसी वाहन चालक को मॉब लिंचिंग का खतरा है, तो वह स्थानांतरित हो सकता है। लेकिन उसे नजदीकी पुलिस थाने या फोन की मदद से इसकी जानकारी देनी होगी। धारा 106(1) के तहत सजा मिल सकती है अगर चालक ऐसा करता है, तो वह गैर इरादतन के तहत दर्ज किया जाएगा।