मकर संक्रांति एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो भारतीय कैलेंडर के माघ मास के महीने में मनाया जाता है। इसे ‘मकर संक्रांति’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे सूर्य ग्रहण के दिन मनाया जाता है जब सूर्य ग्रहण का समय मकर राशि में होता है। यह त्योहार हिन्दी कैलेंडर में सवन से माघ के बीच मनाया जाता है, जिसे लोग सर्वांग सुंदरता, आत्मा का पवित्र संबंध, और शक्ति के साथ जोड़ते हैं।
मकर संक्रांति का मतलब होता है ‘सूर्य का गति बदलना’ और यह त्योहार हिन्दू समाज में बहुत प्रमुख धार्मिक त्योहारों में से एक है। इसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है जैसे मकर संक्रांति, उत्तरायण, माघ सक्रांति, पौष पर्व आदि। यह त्योहार विभिन्न प्रांतों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है लेकिन इसके मूल में एक ही आधार होता है – सूर्य की महत्ता और उसके गति के साथ जुड़ी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का आदर करना।
मकर संक्रांति का इतिहास:
मकर संक्रांति का महत्त्वपूर्ण इतिहास है जो इसे एक विशेष रूप से मनाने वाले लोगों के जीवन में गहराई से निहित है। इस त्योहार का प्रारंभ अत्यंत प्राचीन समय से हुआ है और इसका उल्लेख वेदों में भी मिलता है।
सूर्य के गति और मकर संक्रांति का संबंध मुख्य रूप से हिन्दू धर्म के ग्रंथों, विशेषकर पुराणों, में पाया जाता है। भगवद गीता में भी सूर्य के गति का महत्त्वपूर्ण स्थान है और इसे धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण बताया गया है।
सनातन धर्म के अनुयायियों के अनुसार, दिन का लम्बा होना और रात्रि का छोटा होना मकर संक्रांति का सूचक है और इसी दिन से सूर्य का उत्तरायण होता है, जिससे दिनों की लम्बाई बढ़ती है और रात्रियों की कमी होती है।
इसके अलावा, मकर संक्रांति को अनेक प्रकार से मनाने का विवाद भी है। कुछ लोग इसे हरियाली त्योहार के रूप में मनाते हैं, जब धान और गहुं की पैदावार अच्छे से होती हैं और प्रकृति हरित रंगों में खिली रहती है। वहीं, कुछ लोग इसे माघ में मनाते हैं, जब मौसम ठंडा होता है और लोग बैसाखी जैसे त्योहारों की शुरुआत के रूप में इसका स्वागत करते हैं।
मकर संक्रांति के विभिन्न रूप:
मकर संक्रांति को भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है और हर क्षेत्र में इसे अपनी भाषा और सांस्कृतिक विविधता के साथ मनाया जाता है।
- मकर संक्रांति उत्तर भारत में: उत्तर भारत में, मकर संक्रांति को उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है और यह एक बड़ा धार्मिक महोत्सव होता है। इसे पुणे, नासिक, और नागपुर के आस-पास बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं और नदी में स्नान करते हैं।
- मकर संक्रांति पश्चिम बंगाल में: पश्चिम बंगाल में, मकर संक्रांति को ‘पौष संक्रांति’ भी कहा जाता है और यहां लोग इसे बड़े धूमधाम और आस-पास के गाँवों में समर्पित इवेंट्स के साथ मनाते हैं।
- मकर संक्रांति साउथ इंडिया में: साउथ इंडिया में, मकर संक्रांति को पुंगल और संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यहां लोग अपने घरों को सजाकर उसमें अनेक धार्मिक रीतिरिवाजों का पालन करते हैं और विशेष प्रकार की मिठाईयां बनाते हैं।
मकर संक्रांति का माहत्म्य: