राम मंदिर उद्घाटन: अरुण योगीराज द्वारा बनी रामलला की मूर्ति की गर्भगृह में स्थापना होगी।

श्रीरामलला की प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार ने प्रतिमा निर्माण के दौरान इतनी एकाग्रता बनाए रखी कि उनके कार्य में कोई भी खलल नहीं पड़ा। उन्होंने इस कार्य के लिए महीनों तक अपने परिवार से बातचीत तक नहीं की, और यहां तक कि उन्होंने बच्चों की सूरत तक नहीं देखी। इस अद्वितीय एकाग्रता की मिसाल को सोमवार को चंपत राय ने सभी के सामने प्रस्तुत किया।

राम मंदिर का उद्घाटन के लिए तैयारियाँ  जोर-शोर से चल रही है 

22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन होने वाला है। इसके लिए अब केवल 7 दिन बचे हैं। इस महत्वपूर्ण क्षण के लिए राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में किसी भी प्रकार की कमी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए जोर-शोर से तैयारियाँ चल रही हैं। इसी बीच, आज श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मीडिया के सामने एक मुखातिब किया। इस दौरान, उन्होंने कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा प्रस्तुत की। साथ ही, चंपत राय ने खुलासा किया कि कर्नाटक के प्रमुख मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की मूर्ति भी गर्भगृह में स्थापित की जाएगी। इस बड़ी खुशखबरी की जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने ट्वीट करके साझा की है।

मूर्तिकार ने प्रतिमा निर्माण के दौरान पूरी एकाग्रता बनाए रखी

श्रीरामलला की प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार ने प्रतिमा निर्माण के दौरान इतनी एकाग्रता बनाए रखी कि उनके कार्य में कोई भी खलल नहीं पड़ा। उन्होंने इस कार्य के लिए महीनों तक अपने परिवार से बातचीत तक नहीं की, और यहां तक कि उन्होंने बच्चों की सूरत तक नहीं देखी। उनकी एकाग्रता की मिसाल सोमवार को चंपत राय ने सभी के सामने प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि प्रतिमा का निर्माण करने वाले मैसूर के निवासी अरुण योगीराज ने मूर्ति निर्माण कार्य के दौरान जिस तरह से जीवन व्यतीत किया है शायद आप सोच भी नहीं सकते। कार्य के दौरान महीनों तक फोन को हाथ तक नहीं लगाया। अपने बच्चों और परिजनों तक से बात नहीं की। उन्होंने बताया कि अरुण योगीराज अनेक पीढ़ियों से मूर्ति निर्माण के कार्य से जुड़े हैं। उनके पूर्वज भी यही काम करते आ रहे हैं। जानकारी के अनुसार केदारनाथ में शंकराचार्य की प्रतिमा उन्होंने ही बनाई है। दिल्ली में इंडिया गेट के नीचे सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी उन्होंने ही बनाई है। श्रीरामलला की मूर्ति का चयन की प्रक्रिया में उन्हीं की मूर्ति का चयन किया गया। सभी ट्रस्टीज ने उनकी मूर्ति की प्रशंसा की है।

श्रीरामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा प्रक्रिया के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी 

22 जनवरी को अयोध्या धाम में अपने नव्य भव्य मंदिर में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम और पूजन विधि 16 जनवरी से शुरू हो जाएगी, जबकि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है उसे 18 जनवरी को गर्भ गृह में अपने आसन पर खड़ा कर दिया जाएगा। 22 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी अभिजित मुहुर्त में दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न किया जाएगा। श्रीरामलला प्राण प्रतिष्ठा के संबंध में यह बातें सोमवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताईं। उन्होंने ये भी बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर गर्भ गृह में पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी, आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और सभी ट्रस्टीज उपस्थित रहेंगे।

पूजन विधि 16 जनवरी से शुरू होगी

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की जानकारी देते हुए चंपत राय ने बताया कि कार्यक्रम से जुड़ी सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। प्राण प्रतिष्ठा दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर प्रारंभ होगी। प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त वाराणसी के पुजारी श्रद्धेय गणेश्वर शास्त्री ने निर्धारित किया है। वहीं, प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े कर्मकांड की संपूर्ण विधि वाराणसी के ही लक्ष्मीकांत दीक्षित द्वारा कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि पूजन विधि 16 जनवरी से शुरू होकर 21 जनवरी तक चलेगी। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्यूनतम आवश्यक गतिविधियां आयोजित होंगी। उन्होंने बताया कि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठ होनी है वो पत्थर की है। उसका वजन अनुमानित 150 से 200 किलो के बीच होगा। यह 5 वर्ष के बालक का स्वरूप है, जो खड़ी प्रतिमा के रूप में स्थापित की जानी है। 

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