हम सब व्रत का धार्मिक महत्व जानते हैं, लेकिन आयुर्वेद भी इसका वैज्ञानिक महत्व बताता है। सप्ताह में एक दिन सही तरीके से व्रत रखने से व्यक्ति कई बीमारियों से बच सकता है। धार्मिक दृष्टिकोण (religious point) से प्रत्येक व्रत को विशिष्ट महत्व दिया गया है। माना जाता है कि व्रत रखने से व्यक्ति का व्यवहार सात्विक (virtuous) होता है। उसका मन-मस्तिष्क शांत होता है। लेकिन आयुर्वेद भी व्रत का वैज्ञानिक महत्व बताता है।
वैज्ञानिक तर्क अनुसार
- धर्म, मान्यता और वैज्ञानिक तर्क के साथ सप्ताह में एक दिन व्रत रखना भी वैज्ञानिक रूप से फायदेमंद है। आयुर्वेद के अनुसार, दिन भर सिर्फ फल खाने से digestive system को आराम मिलता है। जिससे digestive system ठीक रहता है और शरीर से toxic and deadly substances बाहर निकल जाते हैं। जिससे शरीर और स्वास्थ्य अच्छे रहते हैं।
- एक अध्ययन के अनुसार सप्ताह में एक दिन व्रत रखने से diabetes, cancer और heart diseases का खतरा कम होता है। हर दिन ऊट पटांग खाने से digestive problemsउत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए उपवास को धर्म के साथ नहीं जोड़ा गया है। लोगों को अपने शरीर को आराम देने का मौका मिलेगा।
- जब हम उपवास करते हैं, तो शरीर को glucose नहीं मिलता, इसलिए शरीर को glucose से अलग से energy बनाने की जरूरत होती है। As a result, शरीर gluconeogenesis शुरू करता है, जो स्वयं glucose बनाता है। glucose, lactate, amino acids और fat जैसे non carbohydrate substances से energy बनाने में liver की मदद करता है।
- हमारा शरीर भोजन करते समय कम से कम ऊर्जा का उपयोग करता है। जिससे हमारे blood pressure और heart rate नियंत्रित रहती है। जो एक स्वस्थ शरीर के लिए very important है। यह भी कहा जाता है कि गैस की समस्या को दूर करने के लिए उपवास के अंत में नींबू पानी पीना चाहिए।
Cultural Indianism में बहुत से व्रत हैं, इसलिए उनके प्रकारों में diversity स्वाभाविक है। उपवास और व्रत एक दूसरे से संबंधित हैं। मुख्य अंतर है कि व्रत में भोजन खाया जा सकता है, लेकिन उपवास में पूरी तरह से निराहार रहना होता है। विधिपूर्वक (lawfully) भोजन करना भी व्रत कहलाता है।
व्रत के महत्वपूर्ण प्रकार ( Important types of fasting)
1. आदरणीय व्रत (Venerable fast): बिना किसी कामना के दिन या रात में एक बार भोजन करने को “आयाचित व्रत” कहा जाता है।
2. विष व्रत (Vish fast): विशेष रूप से रात में किए जाने वाले व्रत को “नक्त व्रत” कहा जाता है।
3. एकल व्रत (Ekal fast): “एकभुक्त” व्रत को आधा दिन, मध्यान्ह या संध्या, अपनी इच्छानुसार करना कहा जाता है।
4. पंचायत व्रत (Panchayat fast): यह व्रत बारह दिनों में पूरा होता है, तीन-तीन दिनों तक भोजन की मात्रा बढ़ाकर और अंतिम तीन दिनों में निराहार रहकर।
5. चण्डी व्रत (Chandi fast): चंद्रकला के अनुसार, यह व्रत घटता-बढ़ता रहता है। इसमें कृष्ण पक्ष में भोजन की मात्रा कम होनी चाहिए और शुक्ल पक्ष में बढ़नी चाहिए। इस व्रत को चांद्रायण कहते हैं, जो अमावस्या को निराहार रहकर पूरा होता है और किसी भी महीने की शुक्ल प्रतिपदा से शुरू किया जा सकता है।
6. तिथि पूजा (Tithi fast): एकादशी, अमावस्या, चतुर्थी आदि दिनों को तिथि व्रत कहा जाता है।
7. मासिक व्रत ( Monthly Fast): माघ, कार्तिक, वैशाख जैसे महीने के व्रतों को मास व्रत कहा जाता है।
8. पौराणिक व्रत (Puranic fast): कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के व्रतों को “पाक्षिक व्रत” कहा जाता है।
9. नवग्रह व्रत (Navagraha fast): नक्षत्र व्रतों में रोहित, श्रवण और अनुराधा शामिल हैं।
10. भगवान का व्रत (God’s fast): गणेश, शिव, विष्णु और अन्य देवताओं को मानने वाले व्रतों को देव व्रत कहते हैं।
11. वार व्रत (Vaar fast): वार व्रत सोम, मंगल, बुध आदि वारों के दिन किए जाते हैं ।
12. प्रजापति व्रत (Prajapati fast): “प्रदोष व्रत” प्रत्येक मास की त्रयोदशी या तेरस के दिन किए जाने वाले व्रत को कहते हैं।
व्रत के नियम (rules of fasting)
- अगर आप एक व्रत रखने जा रहे हैं, तो सबसे पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप इसे जरूर करने का संकल्प करें। इसके बिना कोई व्रत पूरा नहीं माना जाता।
- जितने समय का target रखा है, उसे पूरा करने के बाद पारण करना अनिवार्य है। आप पूजा का पूरा लाभ प्राप्त करेंगे।
पारण करने के बाद आप चाहें तो फिर से व्रत ले सकते हैं। - व्रत करते समय मन को संयम रखना बहुत महत्वपूर्ण है। जब आपका मन नियंत्रण में रहेगा, आप खाने की इच्छा नहीं करेंगे।
व्रत के दौरान बहुत कुछ खाना चाहिए। तामसिक या गरिष्ठ भोजन से दूर रहना चाहिए। - नियमित रूप से अपने adorable को समर्पित करना एक व्रत है। इसलिए हर दिन अपने adorable को याद रखें।
- व्रत के दौरान किसी की निंदा या गलत सोच नहीं करनी चाहिए।
- यदि आप किसी मन्नत के आधार पर व्रत रखते हैं, तो किसी पंडित से सलाह लें। क्योंकि वह आपको उचित दिशा दे सकता है।
- During menstruation महिलाओं को व्रत नहीं करना चाहिए। क्योंकि उन दिनों के व्रत अनुचित हैं।
- अगर आपने व्रत रखने का निश्चय किया है। लेकिन अगर स्वास्थ्य खराब है तो व्रत बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
- महिलाओं को गर्भवती होने पर व्रत रखने से बचना चाहिए।
- व्रत के दौरान बार-बार भोजन करना prohibited है। व्रत खोलने के बाद केवल सात्विक भोजन करना चाहिए।
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