प्रधानमंत्री मोदी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद अपना उपवास तोड़ा है। महंत गोविन्द देव गिरि ने उनका उपवास तोड़ा।प्रधानमंत्री ग्यारह दिन का उपवास रखा।
प्रधानमंत्री मोदी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद अपना उपवास तोड़ा
राम मंदिर आख़िरकार वहीं बना, जहां उसे बनाने का वादा था। राम मंदिर का उद्घाटन अयोध्या में हुआ है। रामलला के श्री विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक अनुष्ठान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी की उपस्थिति में संपन्न हुआ है। यह अनुष्ठान गर्भगृह में पूरा हुआ है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत उपस्थित थे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भोजन तोड़ा जैसे ही पूजा पूरी हुई। महंत गोविन्द देव गिरि ने उनका भोजन छोड़ दिया है।
11 दिनों का उपवास
प्रधानमंत्री मोदी को मंच से महंत गोविन्द देव गिरि ने काफी प्रशंसा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले मूर्ति की पूजा की। प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने ग्यारह दिनों का अनुष्ठान किया था। नियमों की वजह से प्रधानमंत्री मोदी उपवास पर थे और दिन में दो बार ही नारियल पानी पीते थे। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने इस अनुष्ठान के दौरान देश भर में कई मंदिरों का दौरा कर वहां पूजा अर्चना की है।
रामलला गर्भगृह में विराजमान
रामलला अभी भी राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संघ प्रमुख भागवत और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्राण प्रतिष्ठान में यजमान हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की। पूरा देश इस अद्भुत और भव्य समारोह को देखा। अयोध्या में समारोह स्थल पर बॉलीवुड, क्रिकेट और उद्योग जगत के कई दिग्गज इस दौरान मौजूद रहे। दुनिया भर से लोगों ने इस क्षण को लाइव देखा है।
PM मोदी ने चरणामृत पी कर तोड़ा उपवास
अयोध्या में राम मन्दिर में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा पूरी विधि-विधान हो गई है। PM मोदी ने पवित्र भावों से राम लला की पूजा की। राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले PM मोदी ने 11 दिन तक उपवास रखा। प्राण प्रतिष्ठा के बाद मोदी ने उपवास पूरा किया। उनका उपवास चरणामृत पी कर पूरा हुआ।
चरणामृत कैसे बनता है?
चरणामृत का अर्थ नाम से भी साफ है भगवान के चरणों का अमृत। इस अमृत को बनाने के लिए भगवान शालिग्राम को गंगाजल से स्नान कराया जाता है। तुलसी दल भी इसमें मिलाया जाता है। भक्तों को भगवान के चरणों का अमृत प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
चरणामृत खाने के फ़ायदे
1. पेट के लिए फायदेमंद
पेट चरणामृत खाने से बचता है। दही में प्रोबायोटिक्स हैं, जो डाइजेशन को बढ़ाते हैं। पेट की समस्याएं चरणामृत से दूर होती हैं। चरणामृत को खाना चाहिए जिन लोगों को भूख लगती है।
2. थकान और कमजोरी कम
थकान और कमजोरी कम करने के लिए चरणामृत पीना फायदेमंद हो सकता है। शरीर को चरणामृत पीने से शक्ति मिलती है। एनर्जी मिलती है और कमजोर दूर होती है।
3 .शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाना
चरणामृत पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। शरीर को आवश्यक एंटी-बैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण चरणामृत में होते हैं। चरणामृत खाने से खांसी और जुकाम में काफी आराम मिलेगा।
4 .हड्डियां मजबूत होती हैं
चरणामृत खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं। दरअसल, इसमें कैल्शियम से भरपूर दूध है। चरणामृत में विटामिन बी12, प्रोटीन और कैल्शियम की अधिक मात्रा होती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है।